16 साल की उम्र पढ़ने-लिखने की होती है। लेकिन इस उम्र में एक भारतीय शख्स ने पिता से महज 35 हजार रुपए का कर्ज लेकर बिजनेस की शुरुआत की। यह बिजनेस इतना सफल रहा कि उसकी कीमत हजारों करोड़ में आंकी जाने लगी। आखिरकार चीन की कंपनी ने उसके बिजनेस को 6 हजार करोड़ रुपए (90 करोड़ डॉलर) में खरीद लिया। हम दिव तुरखिया की बात कर रहे हैं, जिन्होंने कम उम्र में ही एड-टेक स्टार्टअप मीडिया डॉट नेट (media.net) की शुरुआत की थी।
लगातार दो दशकों की मेहनत के दम पर खड़ी की गई इसी कंपनी के दम पर ही तुरखिया 2016 में भारत के सबसे युवा सेल्फ मेड अरबपति बन गए थे। उन्होंने चीन की कंपनी बीजिंग मिटेनो कम्युनिकेशन को अपनी कंपनी बेचकर यह उपलब्धि हासिल की थी। एक समय कंपनी का सालाना रेवेन्यू 25 करोड़ डॉलर तक पहुंच चुका था।
पिता से 35 हजार रु का कर्ज लेकर शुरू की थी कंपनी
इस कंपनी की सफलता में दिव तुरखिया के बड़े भाई भाविन तुरखिया की भी अहम भूमिका रही। दोनों ने मिलकर वर्ष 1998 में जब कंपनी की शुरुआत की तो उनकी उम्र क्रमशः 16 साल और 18 साल थी। उन्होंने अपने पिता के घर से ही वेब होस्टिंग बिजनेस के तौर पर डायरेक्टी की स्थापना की। दिव तुरखिया ने सीएनबीसी से बातचीत में कहा कि कंपनी के लिए उन्होंने पिता से लगभग 35 हजार रुपए का कर्ज लिया, जिसका रेवेन्यू चार साल के भीतर ही 10 लाख डॉलर हो गया।
उन्होंने बताया कि पिता अकाउंटैंट थे और उनकी फैमिली के लिए 35 हजार रुपए छोटी रकम नहीं थी।
पिता से मिला एक सबक
दिव ने कहा, ‘पिता ने इतनी रकम देते समय एक सवाल तक नहीं पूछा। उन्होंने कहा कि तुम जो करने जा रहे हो, वह काम सफल भी हो सकता है और नहीं भी हो सकता है। कोई बात नहीं, लेकिन कोशिश करो।’ उन्होंने कहा कि तुम कोशिश करना चाहते हो तो कोशिश करो और नाकाम हुए तो भी कोई बात नहीं। पिता ने कहा, ‘अगर नाकाम भी हुए तो तुम्हें कुछ सीखने को मिलेगा।’
7-8 साल की उम्र में शुरू कर दी थी प्रोग्रामिंग
दिव ने महज 7 या 8 साल की उम्र में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखनी शुरू कर दी थी। 1995 में इंटरनेट की पहुंच बढ़ने तक उनको कंप्यूटर का खासा अनुभव मिल चुका था और उम्र भी 13 साल हो चुकी थी। इस अनुभव के दम पर वह स्थानीय कंपनियों को सर्विसेस देने की स्थिति में पहुंच गए थे। दिव कहते हैं कि 14 से 16 साल तक की उम्र के बीच उन्होंने ‘कुछ कंपनियों को वेबसाइट बनाने, उनकी सिक्युरिटी आदि सेवाएं देनी शुरू कर दी थीं।’ हालांकि इसके लिए उन्हें कम पैसा मिला करता था।
इंटरनेट की पहुंच बढ़ने से बनी संभावनाएं
फिर दिव और भाविन ने बिजनेस बढ़ाने के लिए वेबसाइट होस्टिंग के क्षेत्र में कदम रखा। तब इंटरनेट शुरुआती दौर में था, इसलिए इस क्षेत्र में खासी संभावनाएं भी थीं। पिता ने भी देखा कि वे हॉबी के तौर पर इस पर काम कर रहे थे और धीरे-धीरे इसे फुलटाइम करने लगे। दोनों भाइयों ने डोमेन नेम क्रिएट करने के साथ बिजनेस शुरू कर दिया और तब तक दिव की उम्र 23 साल हुई, उनकी कंपनी सालाना रेवेन्यू 1 करोड़ डॉलर के आसपास पहुंच गई। उन्होंने अपनी ज्यादातर कमाई को अपने बिजनेस में ही लगा दिया।
2015 में 23 करोड़ डॉलर से ज्यादा हुआ रेवेन्यू
वर्ष 2005 में दिव ने नई कंपनी स्केंजो (Skenzo) की शुरुआत की, जो अनयूज्ड डोमेन खरीदकर उन्हें ऊंची कीमत पर बेचा करती थी। बाद में वर्ष 2010 में यह कंपनी Media.net में तब्दील हो गई और उनकी कंपनी ऑनलाइन एडवर्टाइजिंग मार्केट में अच्छी पैठ हो गई थी।
चीन की कंपनी के हाथों 6 हजार करोड़ में बिकी मीडिया डॉट नेट
2015 में ऐसा भी आया, जब भारत में याहू जैसी कंपनी कमाई करने के लिए जूझ रही थी और मीडिया डॉट नेट का रेवेन्यू 23.2 करोड़ डॉलर के पार चला गया। इसके एक साल बाद ही यानी 2016 में चीन की कंपनी बीजिंग मिटेनो के हाथों मीडिया डॉट नेट 90 करोड़ डॉलर (मौजूदा एक्सचेंज रेट के हिसाब से लगभग 6 हजार करोड़ रुपए) में बिक गई। दिव अभी भी चीनी की कंपनी की सब्सिडियरी के तौर पर मीडिया डॉट नेट को चला रहे हैं।
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