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रितेश अग्रवाल ने पढ़ाई छोड़करऐप के जरिए होटल रूम्स बुकिंग की सुविधा देने वाली कंपनी OYO 100 करोड़ डॉलर (7,000 करोड़ रुपए) फंड जुटाने को लेकर बातचीत कर रही है। सब कुछ ठीक रहा तो यह 400 करोड़ डॉलर (28,000 करोड़ रुपए) से अधिक वैल्युएशन वाली कंपनियों की लिस्ट में शामिल हो जाएगी। 400 करोड़ डॉलर वैल्युएशन होने पर ओयो सबसे ज्यादा वैल्यू वाली भारतीय इंटरनेट कंपनियों की लिस्ट में फ्लिपकार्ट (20 अरब डॉलर) और पेटीएम (10 अरब डॉलर) के बाद तीसरे नंबर पर होगा। इसके फाउंडर रितेश अग्रवाल को ओयो रूम खोलने का आइडिया टीवी के रिमोट कंट्रोल से आया था।
पढ़ाई छोड़ 5 साल पहले ओयो रूम्स की रखी थी नींव
ओयो रूम्स के फाउंडर रितेश अग्रवाल की सफलता की कहानी भी काफी अलग है। बिना किसी बड़ी डिग्री के उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है। कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़कर रितेश अग्रवाल ने 5 साल पहले 24 की उम्र में ओयो रूम्स की नींव रखी थी। आज कंपनी 230 शहरों में 10 लाख होटल रूम्स का प्रबंधन करती है। कुछ साल पहले रितेश ओडिशा में एक छोटे से कस्बे में सिम कार्ड बेचते थे, लेकिन आज अरबों का कारोबार खड़ा कर चुके हैं।
टीवी रिमोट कंट्रोल से मिला था आइडिया
रितेश अग्रवाल ओडिशा के छोटे से शहर बिसम कटक से हैं जो नक्सली प्रभावित इलाका है। रितेश को ओयो रूम खोलने का आइडिया टीवी के रिमोट कंट्रोल से आया है। उनका मानना था जैसे टीवी को रिमोट से कंट्रोल किया जा सकता है। ऐसा ही कुछ होटल के लिए भी किया जा सकता है, जिससे घर बैठे कस्टमर को होटल मिल सके। इसी आइडिया से ओयो रूम्स की शुरुआत हुआ है। 5 साल पहले रखी थी OYO रूम्स की नींवपढ़ाई छोड़ 5 साल पहले ओयो रूम्स की रखी थी नींव
ओयो रूम्स के फाउंडर रितेश अग्रवाल की सफलता की कहानी भी काफी अलग है। बिना किसी बड़ी डिग्री के उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है। कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़कर रितेश अग्रवाल ने 5 साल पहले 24 की उम्र में ओयो रूम्स की नींव रखी थी। आज कंपनी 230 शहरों में 10 लाख होटल रूम्स का प्रबंधन करती है। कुछ साल पहले रितेश ओडिशा में एक छोटे से कस्बे में सिम कार्ड बेचते थे, लेकिन आज अरबों का कारोबार खड़ा कर चुके हैं।
टीवी रिमोट कंट्रोल से मिला था आइडिया
रितेश अग्रवाल ओडिशा के छोटे से शहर बिसम कटक से हैं जो नक्सली प्रभावित इलाका है। रितेश को ओयो रूम खोलने का आइडिया टीवी के रिमोट कंट्रोल से आया है। उनका मानना था जैसे टीवी को रिमोट से कंट्रोल किया जा सकता है। ऐसा ही कुछ होटल के लिए भी किया जा सकता है, जिससे घर बैठे कस्टमर को होटल मिल सके। इसी आइडिया से ओयो रूम्स की शुरुआत हुआ है।शुरुआत में बनाया ओरावल स्टे
रितेश अग्रवाल बिजनेस फैमिली से हैं जो साल 2011 में दिल्ली आए थे। उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज का एंट्रेस एग्जाम छोड़कर यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के इंडिया कैपंस में एनरोल कराया। उन्होंने तब 18 साल की उम्र में ओरावल स्टे बनाया जो एयरबीएनबी का इंडियन वर्जन था। लेकिन वहां उम्मीद के अनुसार सफलता नहीं मिल रही थी। इसे देखते हुए वह करीब 100 से अधिक बेड एंड ब्रेकफास्ट कमरों में ठहरे। तब जाकर उन्हें समझ में आया कि समस्या पोर्टल के साथ है, क्योंकि वह स्टैंडर्डाइज्ड नहीं है।
मिली पीटर थील फेेलोशिप
उसी दौरान रितेश अग्रावल पहले ऐसे इंडियन बने जिन्हें 1 लाख डॉलर की थील फेेलोशिप मिली। थील फेसबुक के शुरुआती इन्वेस्टर्स मेंं से एक रहे हैं। पीटर थील पे-पाल के को-फाउंडर भी रहे हैं। थील फैलोशीप ऐसे कारोबारियों को मिलती है जो 20 साल की उम्र तक कॉलेज छोड़कर बिजनेस करना चाहते हैं। उन्होंने थील फेेलोशिप का ज्यादातर पैसा ओयो रूम्स में लगा दिया।हाउसकीपिंग से लेकर सीईओ का किया काम
अपने शुरूआती अनुभवों के बारे में उन्होंने बताया कि जब उन्होंने गुड़गांव में पहला होटल शुरू किया था तब वह हाउसकीपिंग, सेल्स, सीईओ सभी का काम करते थे। वह ओयोरूम्स की ड्रेस पहनकर ड्युटी करते और कस्टमर को कमरा दिखाते। उन्हें कई बार टिप मिली और कमरे से भी निकाला गया लेकिन वह कस्टमर के साथ हमेशा अच्छे से पेश आए।
IIM और IIT पास आउट को करते हैं हेड
रितेश अग्रवाल कॉलेज ड्रॉपआउट है लेकिन वह 20 आईआईएम और 200 आईआईटी की टीम हेड करते हैं। सॉफ्टबैंक ने ओयो रूम्स में विजन फंड के जरिए 93 अरब डॉलर इन्वेस्ट किए हैं। ओयो रूम्स के पास एक लाख कमरे हैं। हर महीने उनके साथ 10 हजार कमरे जुड़ रहे हैं। ओयो रूम्स नेक्स्ट जेनरेशन होटल चेन है जो इंटरनेट सर्विस का इस्तेमाल कर रहे हैं।
रितेश अग्रवाल कॉलेज ड्रॉपआउट है लेकिन वह 20 आईआईएम और 200 आईआईटी की टीम हेड करते हैं। सॉफ्टबैंक ने ओयो रूम्स में विजन फंड के जरिए 93 अरब डॉलर इन्वेस्ट किए हैं। ओयो रूम्स के पास एक लाख कमरे हैं। हर महीने उनके साथ 10 हजार कमरे जुड़ रहे हैं। ओयो रूम्स नेक्स्ट जेनरेशन होटल चेन है जो इंटरनेट सर्विस का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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