दिल्ली। बड़ी कंपनियां पर छोटे कारोबारियों का बकाया बढ़ता जा रहा है। इसके लिए माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज डेवलपमेंट एक्ट भी छोटे कारोबारियों के काम नहीं आ रहा है और ना ही सरकार के प्रयास काफी साबित हो रहे हैं। छोटे कारोबारी लगभग 870 करोड़ रुपए बकाया दिलाने के लिए सरकार के पास शिकायत कर चुके हैं, लेकिन इसमें से केवल 24 लाख रुपए ही सरकार दिला पाई है।
क्या है वस्तु स्थिति
बड़ी कंपनियां (जिनमें सरकारी कंपनियां भी शामिल हैं) पर आरोप है कि वे छोटे कारोबारियों से काम तो करा लेती हैं, लेकिन निर्धारित समय पर उनको पेमेंट नहीं करती। एमएसएमई डेवलपमेंट एक्ट में प्रोविजन है कि छोटे कारोबारियों को 45 दिन के भीतर पेमेंट की जाएगी, लेकिन बड़ी कंपनियां 150 दिन से अधिक समय लगा देती हैं। छोटे कारोबारियों के संगठन लगातार इसकी शिकायत करते रहे हैं, जिसके बाद मिनिस्ट्री ऑफ एमएसएमई ने अक्टूबर 2017 में एक ऑनलाइन मॉनीटरिंग पोर्टल 'समाधान' की शुरुआत की है।
क्या कहते हैं आंकड़ें
समाधान पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 3591 छोटे कारोबारियों ने इस पोर्टल पर अपनी एप्लीकेशन फाइल की हैं। जिसमें उन्होंने बड़ी कंपनियों पर 870.90 करोड़ रुपए के बकाया होने की शिकायत की है। अब तक इसमें से केवल 6 एप्लीकेशन को डिस्पोज किया गया है, जिन्हें लगभग 24 लाख रुपया दिलाया गया है। इसके अलावा 133 कारोबारियों और बड़ी कंपनियों ने आपस में समझौता कर लिया और छोटे कारोबारियों को लगभग 12 करोड़ 27 लाख रुपए मिल गए।
रिजेक्ट कर रही है कौंसिल
एमएसएमई समाधान में छोटे कारोबारियों की शिकायत को 15 दिन के बाद राज्यों में गठित माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज फेसिलिटेशन कौंसिल (एमएसईएफसी) को भेज दी जाती है। आंकड़ें बताते हैं कि 3591 में से 2206 एप्लीकेशन एमएसईएफसी को भेजी जा चुकी हैं, लेकिन इनमें से केवल 411 एप्लीकेशन को केस में कंवर्ट किया गया है और 387 एप्लीकेशन को तो रिजेक्ट ही कर दिया गया है।
बोर्ड मीटिंग में उठेगा मामला
सोमवार को होने वाली नेशनल बोर्ड फॉर एमएसएमई की बैठक में डिले पेमेंट का मामला उठेगा। हालांकि एजेंडे में मिनिस्ट्री ऑफ एमएसएमई द्वारा एमएसएमई समाधान पोर्टल के बारे में बताया जाएगा, लेकिन इस मुद्दे पर सरकार को एसएमई संगठनों का विरोध झेलना पड़ सकता है।
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