d
बिजनेस शुरू करना और उससे मोटा पैसा बनाना आसान काम नहीं होता।
बिजनेस शुरू करना और उससे मोटा पैसा बनाना आसान काम नहीं होता। इसके लिए आपको अलग तरह की बुद्धि और युक्ति दोनों की जरूरत होती है। हमारे आसपास ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने चंद रुपयों या जीरो से शुरुआत कर अरबों का अम्पायर खड़ा कर दिया। हम पुराने जमाने के लोगों की नहीं उस जनरेशन की बात कर रहे हैं जो आज भी हमारे सामने है।
हम आपको ऐसी 5 डॉक्युमेंटरी फिल्मों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें देखकर आपके अंदर का बिजनेसमैन बाहर आ जाएगा। आपको बुरे वक्त से निपटने की ट्रिक्स मिलेंगी और लोगों को शीशे में उतारने का हुनर भी हासिल होगा। यह फिल्में रियल स्टोरी पर बनी हैं इसलिए इनकी कहानी पर आप भरोसा कर सकते हैं।
1. स्टार्टअप डॉट कॉम
ये कहानी दो ऐसे युवकों की है, जिन्होंने अपना डॉट कॉम शुरू करने की ठानी। दोनों हार्वर्ड में साथ पढ़ते हैं और फिर कुछ अपना काम करने का मन बना लेते हैं। दोनों युवा ऐसे वक्त इस काम को शुरू करने का प्लान करते हैं, जब इंटरनेट का गुबार सिर चढ़ने की शुरुआत कर रहा था। दोनों ने क्या-क्या झेला और किस उतार चढ़ाव से गुजरे इसकी कहानी इस डॉक्युमेंट्री में आपको मिल जाएगी।
अन्य डॉक्युमेंटरी फिल्मों के बारे में..2. द स्टार्टअप किड
इस फिल्म में कई स्टार्टअप की कहानी है, जो आपको प्रमोट करने के साथ साथ असफलता के लिए तैयार भी करती है। इसमें ड्रॉपबॉक्स, फूडस्पॉटिग, साउंडक्लाउड और कीप (kiip) को शुरू करने वालों के बारे में बहुत कुछ बताया गया है। कौन सी चीज इन्हें भीतर से ताकत देती रहती है, जिसके बूते ये लोग तमाम मुश्किलों को झेलते हुए भी अपने काम को अंजाम तक पहुंचा पाते हैं।
3. समथिंग वेंचर्ड
क्या होगा अगर आपके पास आइडिया तो जबरदस्त है मगर उसे इस्तेमाल करने के लिए रुपया नहीं है। ऐसे में आपको इनवेर्स्टस की जरूरत होगी, लेकिन तब क्या होगा जब आप उन्हें आइडिया बेच ही नहीं पाए। इस डॉक्युमेंट्री में आपको बड़ी टेक कंपनियों जैसे एप्पल, इंटेल और अटारी के बारे में बताया गया है। ये कंपनियां आज जहां खड़ी हैं वहां तक वो कैसे पहुंची और अगर इन कंपनियों से जुड़े लोग इनवेस्टरों का भरोसा नहीं जीत पाते तो इनका क्या हाल होता।
4. स्टीव जॉब्स : वन लास्ट थिंग
स्टीव जॉब्स की कहानी वैसे तो किसी से नहीं छुपी है। मगर उसे स्क्रीन पर देखने का अपना ही मजा है। कैसे एक युवक एप्पल का सीईओ बन गया और कैसे वो सालों तक लीडर बना रहा। ऐसे कई मौके आए जो उसे तोड़ सकते थे मगर उसके भीतर क्या था जिसने उसे हमेशा खुद में बांधे रखा और वह पूरी मजबूती के साथ अपने काम में लगा रहा।
5. फ्रीकोनॉमिक्स
अगर आपने उस फैक्टर को पकड़ लिया जो लोगों को किसी भी काम या किसी भी डायरेक्शन में लगा सकता है तो समझ लीजिए कि आप उन्हें इस हद तक मोटीवेट कर सकते हैं कि वो आपके ग्राहक बन जाएं। ये फिल्म देखकर आपको इस बात का अहसास हो जाएगा। यह कहानी साइकोलॉजी और मार्केट स्ट्रेटजी के बीच के गहरे रिश्ते पर रोशनी डालती है।
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete