परसों रात लेखनी वाले महफूज़ अली ने एक समाचार की ओर ध्यान दिलाया तो मेरा ज़वाब था कि इस विषय पर लिख चुका हूँ लेकिन वह लेख प्रकाशित करूंगा अपनी वेबसाईट पर 8 जुलाई को. कल उस लेख में कुछ संशोधन के इरादे से बैठा तो वह लिखा हुआ गायब!. याद आया कि लिख तो चुका हूँ लेकिन वो है किधर?
तलाशने चला तो कुछ मिला ही नहीं. कंप्यूटर पर सहेजी फाइल्स देख लीं, ड्रॉप बॉक्स, गूगल ड्राईव देख लीं, अपनी वेबसाईट के लेख छान मारे, ड्राफ्ट तक देख लिए लेकिन उस लेख को नहीं मिलना था नहीं मिला.
हालांकि मुझे सब याद था कि लिखा क्या क्या गया था! एक उम्मीद पर चंद शब्दों के सहारे इंटरनेट पर सर्च किया गया तो सारा कुछ लिखा दिख गया ब्लॉग बुलेटिन पर
हुआ यह है कि ताज़ा समाचारों के अनुसार दुनिया भर के एक चौथाई मिलियन उपभोक्ताओं को डीएनएसचेंजर मालवेयर के कारण दुनिया के लाखों कंप्यूटरों में नौ जुलाई से इंटरनेट कनेक्शन से हाथ धोना पड़ सकता है। कुछ ब्लॉग और समाचार रिपोर्टों ने तो इस खतरे को एक संभावित अंधकार और इंटरनेट पर प्रलय का दिन तक कह दिया है।
इसी खतरे की चेतावनी देते मैंने 4 माह पहले ही लिखा था कि इसकी सबसे बड़ी वजह है डीएनएस चेंजर नाम का एक शातिर वायरस जो पूरी दुनिया में परेशानी का सबब बन चुका है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी, एफबीआई ने 150 से अधिक देशों में इस वॉयरस को फैलने से रोकने के लिए एक सर्वर लगाया था जिसे वह आर्ठ मार्च को बंद कर सकता है जिसके चलते 8 मार्च को पूरी इंटरनेट की सेवाएं बंद होने की आशंका उठ खडी हुई है. और फिर8 मार्च के पहले ही अदालत ने यह तारीख बढ़ा कर 9 जुलाई कर दी.
डीएनएस चेंजर एक प्रकार का मॉलवेयर है जिसे समाप्त करने के लिए अनेक समूह दिन रात एक किए हुए हैं. इस वॉयरस से ग्रस्त कंप्यूटर पर खोली गई अधिकतर वेबसाईट अपने असल ठिकाने को ना दिखा कर उन वेबसाईट की और मुड़ जाती हैं जिनके विज्ञापन दिखाने के लिए दुष्ट वायरस निर्मातायों ने पैसे लिए हैं अपने ग्राहकों से.
इसके अलावा यह वॉयरस बार बार कंप्यूटर को वॉयरस से मुक्त करने के लिए कई विकल्प देता है और जैसे ही कंप्यूटर उपयोग करने वाला उन विकल्पों का प्रयोग करता है, वेबसाईट का रूख मोड़ देने वाला सॉफ्टवेयर अपने आप एक बार फिर अपलोड हो जाता है। और यह किसी एंटीवायरस को स्थापित होने नहीं देता ना ही काम करने देता है.
पिछले साल डीएनएस चेंजर वायरस बनाने और उसे सभी कंप्यूटर्स में फैलाने के आरोप में पुलिस ने 6 लोगों को नवंबर 2011 में इस्टोनिया से गिरफ्तार किया था तथा इसे विश्व के सभी कंप्यूटर्स में फैलने से रोकने के लिए एक कोर्ट के आदेश के मुताबिक एफबीआई ने इन वायरस निर्मातायों के सर्वर के स्थान पर एक अस्थाई डीएनएस सर्वर लगाया था लेकिन उस सर्वर की मियाद आठ मार्च से बढ़ा कर नौ जुलाई करने के बावजूद अभी तक इस वायरस से मुक्ति नहीं मिली है।
इस वायरस ने 150 से अधिक देशों के कंप्यूटर्स को खराब कर दिया है। अकेले अमेरिका में ही लाखों कंप्यूटर्स इससे प्रभावित हुए। फॉर्च्यून 500 की आधी कंपनियां और जानी मानी सरकारी संस्थाओं में से अधिकतर के कंप्यूटर्स इस वायरस से प्रभावित हैं।
ये संक्रमित कंप्यूटर्स सीमित दिनों के लिए एफबीआई के लगाए गए अस्थाई डीएनएस सर्वर पर निर्भर हैं इंटरनेट के लिए। अब एफबीआई को कानूनी तौर पर उन डीएनएस सर्वर्स को हटाना होगा, जिससे इस कुख्यात वायरस से ग्रस्त कम्प्यूटरों के लिए इंटरनेट सेवा बंद हो जाएगी।
इस बारे में गूगल तो एक वर्ष पहले से चेतावनी दे रहा है. हाल ही में नई चेतावनी भी आई है उसकी ओर से. फेसबुक की ओर से भी ऎसी ही सूचनादेने के प्रयास किए जा रहे हैं
वैसे एक सीधा सा तरीका है जानने का कि आपका कम्प्यूटर इस वायरस से पीड़ित है कि नहीं इस लिंक पर क्लिक कीजिए. हरे रंग की पृष्टभूमि में जानकारी दिखे तो सब ठीक, चैन की साँस लीजिए. यदि लाल रंग की पृष्ठभूमि दिखे तो कंप्यूटर संक्रमित है तब तो आप अमेरिकी खुफिया एजेंसी FBI को इस लिंक पर क्लिक कर जानकारी दीजिए.
इस वायरस की जानकारी, जांच, बचाव, उपाय पर FBI द्वारा प्रदत्त अंग्रेजी में 6 पृष्ठों का यह दस्तावेज़ भी उपयोगी है. यदि इसे ना पढ़ना चाहें तोइस लिंक को क्लिक कर DNS Changer वायरस से मुक्ति के रास्ते देख लें.
मेरे सुरक्षा सैनिकों मे से एक ने पिछले सप्ताह के शरू में ही इसकी नवीन जानकारी से अवगत कराया था.
इतना कुछ तो मैंने बता दिया. आप कुछ कहना चाहेंगे?
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