Grab the widget  Get Widgets

ADS RING

tag

bid

chi

Thursday 5 July 2018

why Traders are scared off Walmart Flipkart deal | अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट से डरे देश के 10 लाख कारोबारी, दाम गिराकर बाजार हथियाने की है आशंका

why Traders are scared off Walmart Flipkart deal | अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट से डरे देश के 10 लाख कारोबारी, दाम गिराकर बाजार हथियाने की है आशंका





मार्केटिंग स्ट्रैटजी


वॉलमार्ट की मार्केटिंग स्ट्रैटजी सबसे अलत होती है। 'एवरीडे लो प्राइस' यानी हर रोज कम प्राइस उनकी टैगलाइन है जो कस्टमर को अट्रैक्ट करने के लिए बनाई गई है। वह प्रोडक्ट रेन्ज डिस्काउंट प्राइस के कस्टमर को मेल करता है। वह अनसोल्ड स्टॉक को हैवी डिस्काउंट पर बेचता है।


अब 50 से अधिक देशों में है कारोबार


वॉलमार्ट ने अपना पहला इंटरनेशनल स्टोर मेक्सिको सिटी में 1991 में खोला। अब उसका कारोबार 50 से अधिक देशों में है। वॉलमार्ट का कारोबार प्यूर्तोरिको, कनाडा, चीन, ब्राजील, मैक्सिको, जर्मनी, ब्रिटेन, अर्जेन्टीना और अमेरिका में है। इसके अलावा हांग कांग, थाईलैंड, मलेशिया जैसे एशियाई देशों में वॉलमार्ट का स्टोर है। वॉलमार्ट क्लोदिंग, एप्लाएंस, हार्डवेयर, स्पोर्टिंग गुड्स, कन्ज्यूमर ड्यूरेबल, एफएमसीजी सेक्टर के प्रोडक्ट बेचता है।


वॉलमार्ट अपने आप को नहीं रख सकता अमेरिका तक सीमित


वॉलमार्ट अपने आप को अमेरिका तक सीमित नहीं रख सकता। इसके तीन कारण है। पहला, अमेरिकी मार्केट ऐसी जगह पहुंच गई है जहां अब ग्रोथ संभव नहीं है। दुसरा, अमेरिका की जनसंख्या वर्ल्ड की कुल जनसंख्या का 4 फीसदी है। अमेरिका तक सीमित रहने पर वह 96 फीसदी आबादी वाले एरिया की मार्केट खो देगा। तीसरा, उभरती हुई इकोनॉमी जैसे इंडिया वॉलमार्ट के लिए बड़ी रिटेल मार्केट बन सकती है और इसलिए वह इंडिया में एंट्री करने की हर एक कोशिश में लगा हुआ है।
बल्क में खरीदता है प्रोडक्ट


उन्होंने बताया कि वॉलमार्ट बल्क में प्रोडक्ट खरीदता है इससे उसकी कॉस्ट काफी कम हो जाती है। वह अपनी प्रोडक्ट रेन्ज का 50 फीसदी डिस्काउंट पर बेचता है। वह किसी भी देश में कन्ज्यूमर प्रोडक्ट का सबसे बड़ा क्न्ज्यूमर होता है। वह किसी एक वेन्डर पर निर्भर नहीं करता। उसके परचेज वॉल्यूम का 4 फीसदी से अधिक हिस्सा किसी भी वेंडर का नहीं होता। इससे उस वेंडर की मोनोपोली नहीं होती और वॉलमार्ट वेंडर से बारगेन आसानी से कर लेता है।


स्वयं करता है ट्रांसपोर्टेशन


वॉलमार्ट अपने मर्केन्डाइज का 85 फीसदी वॉलमार्ट स्वयं ट्रांसपोर्ट करता है। वॉलमार्ट का स्टोर्स पर सामान भेजने का अपना डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम होता है। वह डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर अपने स्टोर के आसपास की खोलता है ताकि वह एक दिन में स्टोर्स में सामान भेज सके। कंपनी के अपने ट्रक होते हैं। वॉलमार्ट का लॉजिस्टिक सिस्टम इतना अच्छा है कि इससे उन्हें 2 से 3 फीसदी का फायदा कॉस्ट में मिलता है जिससे वह अपने कॉम्पिटीटर से कॉस्ट के मामले में आगे रहता है।


नई दिल्ली। फ्लिपकार्ट के जरिए भारत के ऑनलाइन रिटेल मार्केट में एंट्री करने वाले वॉलमार्ट से देश के 10 लाख ट्रेडर्स डर गए हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार ने डील को रद्द नहीं किया, तो छोटे कारोबारियों के बिजनेस पर खतरा मंडरा जाएगा। कारोबारियों का कहना है वॉलमार्ट अपने  कंपनियों केअधिग्रहण और दाम गिराकर बाजार गिराने की स्ट्रैटेजी के चलते भारत के रिटेल मार्केट पर कब्जा कर सकता है। इसी डर को देखते हुए ट्रेडर्स  सरकार द्वारा  एक्शन नहीं लेने पर कोर्ट जाने की धमकी भी दे रहे हैं। वॉलमार्ट ने इंडियन ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट की 77 फीसदी हिस्सेदारी 16 अरब डॉलर में खरीदी है।



हर एक देश में हुआ है वॉलमार्ट की एंट्री पर विरोध

वॉलमार्ट इंडिया में आ रहा है और इसका ट्रेडर्स कम्यूनिटी विरोध कर रही है। ऐसा वॉलमार्ट के साथ पहली बार नहीं हो रहा है। वह जिस भी देश में गया है वहां उसका विरोध हुआ है। अपने कॉम्पिटीटर को विफल करने के लिए वॉलमार्ट ने हर एक देश में अलग-अलग स्ट्रैटजी अपनाई है।

ऐसी रही है वॉलमार्ट की स्ट्रैटजी

बड़े प्लेयर को खरीद लेना..

वॉलमार्ट किसी भी देश में एंट्री करने पर उस देश के बड़े रिटेल प्लेयर को खरीद लेता है। ब्रांड गुरू हरीश बिजूर ने moneybhaskar.com को बताया कि वॉलमार्ट ने ऐसा जर्मनी में किया था। वॉलमार्ट ने दिसंबर 1997 में जर्मनी की 21 स्टोर की बड़ी हाइपर मार्केट चेन वर्टकॉफ ( Wertkauf) को खरीद लिया। वह उस समय जर्मनी की बड़ी प्रॉफिटेबल हाइपर मार्केट चेन थी। इसके अलावा अगले दो सालों में इंग्लैंड के टेस्को, जर्मनी के मेट्रो और नीदरलैंड के मैकरो को खरीदने की कोशिशों में लगा रहा। ऐसा ही वॉलमार्ट ने कनाडा में किया और उसने वूल्को रिटेल चेन को खरीद लिया। इससे वॉलमार्ट को लोकल मार्केट में पैर जमाने में हमेशा मदद मिली है।

छेड़ देता है प्राइस वार

वॉलमार्ट अमेरिका में इसलिए सफल हुआ क्योंकि वह ब्रांडेड प्रोडक्ट लो कॉस्ट पर बेचता है और वॉलमार्ट यही फॉर्मूला अन्य देशों में भी अपनाता है। वॉलमार्ट के ब्रांडेड प्रोडक्ट रिटेल से कम कीमतों पर बेचने का नुकसान उस देश के लोकल रिटेलर्स और रिटेल चेन दोनों को हुआ है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के जनरल सेक्रेटरी प्रवीण खंडेलवाल ने moneybhaskar.com को कहा कि अब वॉलमार्ट इंडिया में अपना बिजनेस फैलाने की तैयारी में है इसका ट्रेडर्स विरोध कर रहे हैं क्योंकि इससे ऑनलाइन और रिटेल में प्राइस वार और कॉम्पिटिशन दोनों बढ़ेगा। भारत में ई-कॉमर्स मार्केट पूरी तरह से हैवी डिस्काउंट मॉडल पर आधारित है। ऐसे में कारोबारियों को डर है कि कैशरिच वॉलमार्ट के आने के बाद ये कॉम्पिटिशन और बढ़ेगा।





Shaadi.com Indian Matrimonials


No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

add this

chi list unit

page no

Blogger Tips And Tricks|Latest Tips For Bloggers Free Backlinks

otic

cashyork

Website Monitoring - InternetSupervision.com

a brit

Your Ad Here